सुप्रीम कोर्ट ने अरावली आदेश पर लगाई रोक, हाई-पावर्ड समिति गठित

21 जनवरी को होगी अगली सुनवाई

अरावली पर्वत श्रृंखला को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक अहम आदेश दिया था। 20 नवंबर को अदालत ने यह माना था कि 100 मीटर से कम ऊँचाई वाली पहाड़ियों को अरावली का हिस्सा नहीं माना जाएगा। इस परिभाषा से आशंका बनी कि अरावली क्षेत्र के बड़े हिस्से में खनन और अन्य गतिविधियों को अनुमति मिल सकती है, जिससे पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ने का खतरा था।

🟢 सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप

  • सर्वोच्च न्यायालय ने इस आदेश पर स्टे (रोक) लगा दिया है।
  • अदालत ने कहा कि अरावली की स्ट्रक्चरल और इकोलॉजिकल इंटीग्रिटी (संरचनात्मक और पारिस्थितिकीय अखंडता) को बचाना बेहद ज़रूरी है।
  • इसी उद्देश्य से एक हाई-पावर्ड कमेटी बनाई गई है, जिसमें डोमेन एक्सपर्ट्स शामिल होंगे।
  • यह समिति अरावली हिल्स और रेंज की विस्तृत जांच करेगी और अपनी सिफारिशें कोर्ट को सौंपेगी।

🟢 सुनवाई के दौरान क्या हुआ

  • सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में कई गलत जानकारियाँ फैलाई जा रही हैं।
  • इस पर सीजेआई ने कहा कि कई तकनीकी बिंदुओं को स्पष्ट करने की आवश्यकता है।
  • अदालत ने निर्देश दिया कि समिति की रिपोर्ट आने तक कोई अंतिम निर्णय लागू नहीं होगा।

🟢 नई जांच समिति का आदेश

  • सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय की परिभाषा को रोकते हुए कहा कि इस विषय पर नई विशेषज्ञ समिति जांच करेगी।
  • समिति यह देखेगी कि अरावली की परिभाषा और उसकी सीमा तय करने में कौन-से वैज्ञानिक और पर्यावरणीय मानदंड लागू किए जाने चाहिए।

🟢 केंद्र और राज्यों को नोटिस

  • अदालत ने केंद्र सरकार और चार राज्यों—राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और हरियाणा—को नोटिस जारी किया है।
  • इनसे इस मुद्दे पर विस्तृत जवाब मांगा गया है।
  • अरावली पर्वत श्रृंखला का विस्तार इन्हीं राज्यों में है:
    • एक छोर गुजरात में,
    • दूसरा दिल्ली तक,
    • सबसे बड़ा हिस्सा राजस्थान में,
    • और हरियाणा में भी इसका बड़ा विस्तार है।

🟢 पर्यावरणीय महत्व

  • अरावली पर्वत हिमालय जितने ऊँचे नहीं हैं, लेकिन यह क्षेत्र जैव विविधता से भरपूर है।
  • यहाँ कई प्रकार के वन्य जीव और पेड़-पौधे पाए जाते हैं।
  • यदि खनन गतिविधियाँ बढ़ती हैं, तो इन जीवों और वनस्पतियों पर गंभीर खतरा मंडरा सकता है।

🟢 अगली सुनवाई

  • सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 21 जनवरी तय की है।
  • तब तक समिति की जांच और सिफारिशों का इंतज़ार किया जाएगा।