दिल्ली में प्रदूषण पर सियासी टकराव: उपराज्यपाल का 15 पन्नों का पत्र, केजरीवाल सरकार पर गंभीर आरोप
दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। राजधानी की हवा जहरीली हो चुकी है और आम नागरिक सांस लेने तक में कठिनाई महसूस कर रहे हैं। इस संकट के बीच दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को एक लंबा पत्र लिखकर सीधे तौर पर उनकी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
पत्र की अहम बातें
- 11 साल की लापरवाही का आरोप: एलजी ने कहा कि बीते एक दशक में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
- बुनियादी ढांचे की कमी: पत्र में उल्लेख है कि एयर प्यूरीफाइंग टावर, ग्रीन बेल्ट विस्तार और औद्योगिक उत्सर्जन नियंत्रण जैसे उपायों पर ध्यान नहीं दिया गया।
- विज्ञापन बनाम विकास: एलजी ने आरोप लगाया कि सरकार ने विज्ञापनों पर करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन अस्पतालों और प्रदूषण नियंत्रण परियोजनाओं पर पर्याप्त निवेश नहीं किया।
- संवादहीनता का आरोप: उन्होंने यह भी दावा किया कि केजरीवाल ने उनका फोन नंबर तक ब्लॉक कर दिया, जिससे प्रशासनिक संवाद बाधित हुआ।
- शेर-ओ-शायरी का इस्तेमाल: पत्र में तंज कसते हुए शेर-ओ-शायरी का प्रयोग किया गया है, जिससे राजनीतिक रंग और गहरा हो गया।
दिल्ली की मौजूदा स्थिति
- गैस चेंबर जैसी हालत: राजधानी की हवा इतनी खराब हो चुकी है कि इसे “गैस चेंबर” कहा जा रहा है।
- जन स्वास्थ्य पर असर: प्रदूषण के कारण बच्चों और बुजुर्गों में सांस संबंधी बीमारियाँ बढ़ रही हैं। अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
- शिक्षा और जीवन प्रभावित: कई बार स्कूलों को बंद करना पड़ा और आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया।
राजनीतिक असर
- सियासी बहस तेज: एलजी के पत्र ने दिल्ली की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है। विपक्ष और सत्ताधारी दल के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर और तेज हो गया है।
- जिम्मेदारी का सवाल: यह बहस और गहरी हो गई है कि प्रदूषण नियंत्रण की जिम्मेदारी किसकी है—राज्य सरकार की या केंद्र की।
- जनता की चिंता: आम नागरिकों के लिए यह मुद्दा केवल राजनीति नहीं, बल्कि उनके स्वास्थ्य और जीवन से जुड़ा है।








