गोवा क्लब अग्निकांड: मजिस्ट्रियल जांच में प्रशासनिक मिलीभगत और लापरवाही का खुलासा

गोवा के उत्तरी हिस्से अर्पोरा में स्थित ‘बिर्च बाय रोमियो लेन’ नाइट क्लब में 6 दिसंबर 2024 को लगी भीषण आग ने पूरे राज्य को हिला दिया। इस हादसे में 25 लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए। घटना के बाद प्रशासनिक तंत्र की भूमिका पर गंभीर सवाल उठे। चार सदस्यीय मजिस्ट्रियल जांच समिति की रिपोर्ट ने इस त्रासदी के पीछे छिपी लापरवाहियों और मिलीभगत को उजागर कर दिया है।

लाइसेंस और संचालन की अनियमितताएँ

जांच रिपोर्ट के अनुसार, क्लब का ट्रेड लाइसेंस मार्च 2024 में ही समाप्त हो चुका था, लेकिन इसके बावजूद संचालन जारी रहा। स्थानीय पंचायत, जो क्लब संचालन की प्राथमिक जिम्मेदार संस्था थी, ने न तो परिसर सील किया और न ही संचालन रोकने की कार्रवाई की। पंचायत ने ढहाने (डिमोलिशन) का आदेश तो जारी किया, लेकिन स्टे लगने से पहले उपलब्ध समय में कार्रवाई नहीं की। यह प्रशासनिक उदासीनता सीधे तौर पर हादसे की पृष्ठभूमि तैयार करती है।

इको-सेंसिटिव क्षेत्र में अवैध निर्माण

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि क्लब का निर्माण इको-सेंसिटिव साल्ट पैन क्षेत्र में किया गया था। निर्माण के दौरान ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट नहीं लिया गया और नियमों की अनदेखी की गई। यह केवल एक क्लब की अनियमितता नहीं, बल्कि वर्षों से चली आ रही सिस्टमेटिक फेल्योर का उदाहरण है। 1996 से इस संपत्ति पर रेस्टोरेंट और क्लब संचालित होते रहे, लेकिन नियामक संस्थाओं ने कभी ठोस कार्रवाई नहीं की।

एनओसी और विभागीय मिलीभगत

सबसे बड़ा सवाल यह है कि शिकायतों के बावजूद क्लब को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) कैसे जारी किए गए। क्लब को ट्रेड, एक्साइज, फूड सेफ्टी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति मिली थी। पंचायत और अन्य सरकारी विभागों ने अलग-अलग एनओसी जारी किए। यह स्पष्ट करता है कि प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से क्लब का संचालन जारी रहा।

शिकायतों पर कार्रवाई का अभाव

जांच रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि क्लब के खिलाफ दो लिखित शिकायतें दर्ज हुई थीं—एक कोस्टल रेगुलेशन जोन उल्लंघन और दूसरी अवैध निर्माण को लेकर। इसके बावजूद कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। यह प्रशासनिक तंत्र की गंभीर लापरवाही और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।

संस्थागत जिम्मेदारी और विफलता

  • स्थानीय पंचायत: लाइसेंस खत्म होने के बाद भी संचालन रोकने या परिसर सील करने की कार्रवाई नहीं की।
  • गोवा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड: अनुमति देने में लापरवाही बरती।
  • गोवा कोस्टल जोन मैनेजमेंट अथॉरिटी: अवैध निर्माण और CRZ उल्लंघन पर कार्रवाई नहीं की।

इन संस्थाओं की भूमिका ने यह साबित कर दिया कि हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि प्रशासनिक विफलता का परिणाम था।