तारीक रहमान की वापसी: बांग्लादेश की राजनीति में नया मोड़
बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव उस समय देखने को मिला जब तारीक रहमान, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यकारी चेयरमैन, 17 साल बाद अपने देश लौटे। रहमान की यह वापसी न केवल उनकी पार्टी के लिए बल्कि पूरे देश के राजनीतिक परिदृश्य के लिए एक निर्णायक क्षण साबित हो सकती है। लंबे समय तक निर्वासन में रहने के बाद उनका आगमन बीएनपी समर्थकों के बीच नई ऊर्जा और उम्मीदें लेकर आया है।
रहमान का विवादित अतीत और बरी होने का फैसला
तारीक रहमान को बांग्लादेश के इतिहास में सबसे कम उम्र का कैदी माना जाता है। उन पर हत्या की साजिश और राजनीतिक हिंसा में शामिल होने के गंभीर आरोप लगे थे। इन आरोपों के चलते उन्हें देश छोड़ना पड़ा और उन्होंने विदेश में निर्वासित जीवन बिताया। हालांकि, अब अदालतों ने उन्हें सभी मामलों में बरी कर दिया है, जिससे उनकी राजनीतिक वापसी का रास्ता साफ हो गया है। यह फैसला बीएनपी समर्थकों के लिए राहत और उत्साह का कारण बना है, क्योंकि इससे रहमान की छवि एक बार फिर मजबूत नेता के रूप में उभर रही है।
बीएनपी में नई ऊर्जा और चुनौतियाँ
रहमान की वापसी ऐसे समय हुई है जब बांग्लादेश राजनीतिक अस्थिरता और अराजकता से गुजर रहा है। आगामी आम चुनावों की तैयारियाँ जोरों पर हैं और जनता बदलाव की उम्मीद कर रही है। बीएनपी समर्थकों के लिए रहमान का आगमन एक नई आशा है, लेकिन उनके सामने बड़ी चुनौती यह है कि वे पार्टी के उन नेताओं और कार्यकर्ताओं का विश्वास कैसे जीतेंगे, जिन्होंने उनके निर्वासन के दौरान जमीनी स्तर पर संघर्ष किया।
बीएनपी के भीतर नेतृत्व को लेकर भी सवाल उठ सकते हैं। लंबे समय तक पार्टी का नेतृत्व करने वाली उनकी मां और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया अब गंभीर रूप से बीमार हैं। ऐसे में रहमान को न केवल पार्टी का चेहरा बनना होगा बल्कि संगठनात्मक ढांचे को भी मजबूत करना होगा।
राजनीतिक समीकरण और यूनुस सरकार पर असर
रहमान की वापसी से बांग्लादेश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस को बड़ा झटका लगा है। उनके विशेष सहायक ने इस्तीफा दे दिया है, जिससे सरकार की स्थिरता पर सवाल उठने लगे हैं। बीएनपी के लिए यह एक अवसर है कि वे इस अस्थिरता का फायदा उठाकर जनता का समर्थन हासिल करें।
बीएनपी प्रवक्ता रुहुल कबीर रिज़वी ने रहमान की वापसी को “निर्णायक राजनीतिक क्षण” बताया है। यह बयान स्पष्ट करता है कि पार्टी रहमान को प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदार के रूप में पेश कर रही है।
शेख हसीना की सत्ता से विदाई और बदला हुआ परिदृश्य
रहमान की वापसी का समय बेहद महत्वपूर्ण है। अगस्त 2024 में छात्रों के नेतृत्व में हुए हिंसक प्रदर्शनों के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार गिर गई थी। इसके बाद अंतरिम सरकार ने आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत अवामी लीग को भंग कर दिया। इस घटनाक्रम ने बांग्लादेश की राजनीति को पूरी तरह बदल दिया।
बीएनपी, जो कभी जमात-ए-इस्लामी और अन्य इस्लामी सहयोगियों के साथ सत्ता में रही थी, अब उन्हीं संगठनों को अपनी मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में देख रही है। यह स्थिति रहमान के लिए चुनौतीपूर्ण है क्योंकि उन्हें पार्टी को एक लिबरल और प्रगतिशील विकल्प के रूप में प्रस्तुत करना होगा।
चुनावी चुनौती: दो महीने में कमाल दिखाना
बांग्लादेश में संसदीय चुनाव 12 फरवरी 2026 को होने हैं। रहमान के पास दो महीने से भी कम समय है। इस अवधि में उन्हें पार्टी कार्यकर्ताओं का विश्वास जीतना होगा, स्थानीय नेताओं को साथ लाना होगा और जनता को यह भरोसा दिलाना होगा कि बीएनपी ही स्थिरता और विकास का विकल्प है।
उनकी सबसे बड़ी चुनौती उन मतदाताओं को आकर्षित करना होगी जो कट्टरपंथी राजनीति से थक चुके हैं और एक उदारवादी विकल्प की तलाश में हैं। बीएनपी को यह साबित करना होगा कि वह न केवल सत्ता में लौटने के लिए तैयार है बल्कि देश को स्थिरता और विकास की दिशा में ले जाने की क्षमता भी रखती है।








