“बांग्लादेश हाई कमीशन के बाहर VHP का विरोध, राजनयिक संबंधों में खिंचाव”
भारत और बांग्लादेश के बीच हाल के दिनों में तनाव तेजी से बढ़ा है। इसकी शुरुआत बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की हत्या से हुई, जिसके बाद दोनों देशों में राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। इस घटना ने न केवल बांग्लादेश के भीतर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं, बल्कि भारत-बांग्लादेश संबंधों को भी झकझोर दिया है।
दीपू चंद्र की हत्या और विवाद की जड़
18 दिसंबर 2025 की रात बांग्लादेश के मैमनसिंह जिले में 27 वर्षीय हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की निर्मम हत्या कर दी गई। हत्या के बाद भीड़ ने उनके शव को आग के हवाले कर दिया। शुरुआती दावों में कहा गया कि दीपू ने फेसबुक पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली टिप्पणी की थी, लेकिन जांच में इस आरोप का कोई ठोस सबूत नहीं मिला। इस घटना ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी।
हत्या के बाद बांग्लादेश और अन्य देशों में आक्रोश फैल गया। भारत में भी इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं। विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के बाहर प्रदर्शन किया और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग उठाई।
राजनयिक तनाव और उच्चायुक्त को तलब
दीपू चंद्र की हत्या के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर गहरी चिंता जताई। इसके जवाब में बांग्लादेश ने भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब किया। यह एक हफ्ते में दूसरी बार था जब उन्हें बुलाया गया।
बांग्लादेश ने भारत में अपने राजनयिक मिशनों पर हुए हमलों और प्रदर्शनों को लेकर नाराजगी जताई। 20 दिसंबर को दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन हुआ और 22 दिसंबर को सिलीगुड़ी में बांग्लादेश वीजा सेंटर में तोड़फोड़ की गई। इन घटनाओं के बाद बांग्लादेश ने दिल्ली और सिलीगुड़ी में वीजा सेवाएं निलंबित कर दीं।
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत में हुए विरोध और हिंसा की घटनाएं अस्वीकार्य हैं। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ऐसे कृत्य न केवल राजनयिक कर्मचारियों की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं, बल्कि आपसी सम्मान, शांति और सहिष्णुता जैसे मूल्यों को भी कमजोर करते हैं।
शेख हसीना के बयानों पर विवाद
तनाव का एक और कारण पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बयान बने हैं। बांग्लादेश का आरोप है कि भारत में रहकर हसीना लगातार ऐसे बयान दे रही हैं जिन्हें बांग्लादेश भड़काऊ मानता है। इस मुद्दे पर भी बांग्लादेश ने भारतीय उच्चायुक्त को तलब कर नाराजगी जताई।
घटनाओं की समयरेखा: 10 दिनों में बढ़ता तनाव
- 14 दिसंबर: बांग्लादेश ने भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को शेख हसीना के बयानों पर नाराजगी जताने के लिए तलब किया।
- 18 दिसंबर: मैमनसिंह में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की हत्या और शव को आग लगा दी गई।
- 19 दिसंबर: हत्या को लेकर बांग्लादेश और अन्य देशों में आक्रोश।
- 20 दिसंबर: भारत ने अल्पसंख्यकों पर हमलों पर चिंता जताई। दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन हुआ।
- 22 दिसंबर: सिलीगुड़ी में बांग्लादेश वीजा सेंटर में तोड़फोड़। इसके बाद बांग्लादेश ने दिल्ली और सिलीगुड़ी में वीजा सेवाएं निलंबित कर दीं।
- 23 दिसंबर: दिल्ली में फिर से बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन। बांग्लादेश ने भारतीय उच्चायुक्त को तलब किया।
बांग्लादेश की मांगें और भारत की जिम्मेदारी
बांग्लादेश सरकार ने भारत से अपील की है कि वह राजनयिक मिशनों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। साथ ही, इन घटनाओं की जांच कराए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।
बयान में कहा गया कि भारत सरकार को अपनी अंतरराष्ट्रीय और राजनयिक जिम्मेदारियों के तहत तुरंत उचित कदम उठाने चाहिए, ताकि राजनयिक कर्मियों और दूतावासों की गरिमा और सुरक्षा बनी रहे।
भारत-बांग्लादेश संबंधों पर असर
पिछले दस दिनों में हुई घटनाओं ने भारत-बांग्लादेश संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद राजनीतिक मतभेद अब और गहरे होते दिख रहे हैं। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, राजनयिक मिशनों पर हमले और नेताओं के बयानों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि दोनों देश जल्द ही संवाद और सहयोग का रास्ता नहीं अपनाते, तो यह तनाव लंबे समय तक बना रह सकता है। इससे न केवल द्विपक्षीय संबंध प्रभावित होंगे, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता पर भी असर पड़ सकता है।








