वंदे मातरम् के 150 वर्ष: संसद में पीएम मोदी ने कांग्रेस और नेहरू पर साधा निशाना

नई दिल्ली। लोकसभा में सोमवार को वंदे मातरम् की रचना के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा हुई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन को संबोधित करते हुए कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत माता को उपनिवेशवाद की बेड़ियों से मुक्त कराने का पवित्र युद्धघोष था।

ऐतिहासिक अवसर का उल्लेख

पीएम मोदी ने कहा, “वंदे मातरम् का स्मरण करना हम सबके लिए सौभाग्य की बात है। हम एक ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बन रहे हैं।” उन्होंने इसे स्वतंत्रता संग्राम का ऐसा मंत्र बताया जिसने करोड़ों भारतीयों को एकजुट किया।

कांग्रेस पर आरोप

प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने तुष्टीकरण की राजनीति के दबाव में वंदे मातरम् के टुकड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के सामने झुककर गीत को विभाजित किया, उसी तरह बाद में उसे भारत के विभाजन के लिए भी झुकना पड़ा।

जिन्ना और नेहरू का संदर्भ

मोदी ने 1936 की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना ने लखनऊ से वंदे मातरम् के खिलाफ नारा बुलंद किया था। उस समय कांग्रेस अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू ने मुस्लिम लीग का विरोध करने के बजाय वंदे मातरम् की जांच‑पड़ताल शुरू कर दी। मोदी ने कहा कि नेहरू का सिंहासन उस समय डोलता हुआ दिखाई दिया।

आपातकाल का जिक्र

पीएम मोदी ने याद दिलाया कि जब वंदे मातरम् के 100 साल पूरे हुए थे, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। उन्होंने इसे भारतीय लोकतंत्र और संविधान का गला घोंटना बताया।

पुनर्स्थापना का अवसर

मोदी ने कहा कि अब हमारे पास वंदे मातरम् की महानता को पुनर्स्थापित करने का अवसर है। उन्होंने इसे हाथ से न जाने देने की अपील की और कहा कि इस गीत का इतिहास युवा पीढ़ी तक पहुँचाना जरूरी है।

मुस्लिम लीग का दबाव और बोस का संदर्भ

प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम् के टुकड़े करने के फैसले को सामाजिक सद्भाव का नाम दिया गया, लेकिन वास्तव में यह मुस्लिम लीग के दबाव में लिया गया कदम था। उन्होंने यह भी बताया कि नेहरू ने इस संदर्भ में सुभाष चंद्र बोस के सामने चिंता व्यक्त की थी और तर्क दिया था कि गीत से मुस्लिम भावनाएं आहत हो सकती हैं।

आज़ादी का पवित्र मंत्र

मोदी ने अंत में कहा कि वंदे मातरम् केवल अंग्रेजों को हटाने का मंत्र नहीं था, बल्कि मातृभूमि को बेड़ियों से मुक्त कराने की पवित्र जंग का आह्वान था।