भारत पहली बार करेगा यूनेस्को पैनल की मेजबानी, दिवाली को विश्व विरासत का दर्जा मिलने की तैयारी

“10 दिसंबर को फिर चमकेगी दिवाली, लाल किला बनेगा मुख्य आकर्षण”

संस्कृति मंत्रालय ने दिल्ली सरकार से संपर्क कर 10 दिसंबर को दिवाली मनाने की विशेष तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। इस दिन लाल किला समेत दिल्ली की प्रमुख ऐतिहासिक इमारतों और सरकारी भवनों को दीयों और रोशनी से सजाया जाएगा।

  • मुख्य कार्यक्रम लाल किले में आयोजित होगा।
  • चांदनी चौक और आसपास के क्षेत्रों में रंगोलियाँ सजेंगी।
  • आतिशबाजी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा।
  • देशभर के सभी विश्व धरोहर स्थलों को भी उस शाम दीयों से जगमगाने के निर्देश दिए गए हैं।

दिल्ली के संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा ने बताया कि यह आयोजन न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश के लिए गौरव का क्षण होगा।

🔹 10 दिसंबर को दिवाली क्यों?

भारत ने मार्च 2024 में दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने का प्रस्ताव सौंपा था।

  • यूनेस्को की इंटरगवर्नमेंटल कमेटी की वार्षिक बैठक 8 से 13 दिसंबर तक लाल किले में हो रही है।
  • इस बैठक में दुनियाभर से आए 54 सांस्कृतिक प्रस्तावों पर चर्चा होगी।
  • भारत ने केवल दीपावली का प्रस्ताव रखा है, जो एजेंडे में 24वें नंबर पर है।
  • इस पर 9-10 दिसंबर को विचार होने की संभावना है और मंजूरी लगभग तय मानी जा रही है।
  • मंजूरी मिलते ही 10 दिसंबर को लाल किले को दीपों से रोशन कर दिवाली का भव्य उत्सव मनाया जाएगा।

🔹 यूनेस्को बैठक का महत्व

  • यह बैठक हर दो साल में होती है। अगली बैठक 2027 में होगी।
  • भारत ने पहले से ही छठ पर्व को अगले सत्र के लिए प्रस्तावित कर दिया है।
  • दिवाली को विश्व विरासत में शामिल करने के पक्ष में भारत ने तर्क दिया है कि यह दुनिया का सबसे लोकप्रिय त्योहार है, जिसमें घर, बाजार और सड़कों की सफाई होती है और परिवार के सभी सदस्य मिलकर इसे मनाते हैं।
  • अब तक भारत की 15 विरासतें पाँच श्रेणियों में यूनेस्को की सूची में शामिल हो चुकी हैं।

🔹 भारत पहली बार मेजबान

यह पहली बार है जब भारत यूनेस्को पैनल की किसी बैठक की मेजबानी कर रहा है।

  • उद्घाटन समारोह में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, यूनेस्को के महानिदेशक खालिद अल-एनानी, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और भारत के स्थायी प्रतिनिधि विशाल वी शर्मा शामिल हुए।
  • इस सत्र में सदस्य देशों के नामांकनों की जांच, मौजूदा विरासतों की समीक्षा और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता पर चर्चा होगी।

🌍 निष्कर्ष

10 दिसंबर का दिन भारत के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता है। दिवाली को विश्व विरासत का दर्जा मिलने के साथ ही लाल किला और अन्य धरोहर स्थल दीपों से जगमगाएंगे। यह आयोजन न केवल भारत की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक स्तर पर मजबूत करेगा बल्कि यूनेस्को की विरासत सूची में भारत की उपस्थिति को और भी गौरवपूर्ण बनाएगा।