पुतिन के भारत दौरे के दौरान पहुँची – रूस से कुडनकुलम प्लांट को पहली न्यूक्लियर फ्यूल खेप.
नई दिल्ली/कुडनकुलम: भारत–रूस परमाणु सहयोग को नई गति मिली है। तमिलनाडु स्थित कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र को रूस की सरकारी न्यूक्लियर कॉर्पोरेशन रोसाटॉम ने परमाणु ईंधन की पहली खेप भेज दी है। यह खेप कार्गो फ्लाइट के ज़रिए भारत पहुँची और इसका उपयोग संयंत्र के तीसरे रिएक्टर की प्रारंभिक लोडिंग में किया जाएगा।
यह आपूर्ति ऐसे समय हुई है जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दो दिवसीय दौरे पर हैं। दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच ऊर्जा, रक्षा और व्यापार जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होनी है। परमाणु ईंधन की पहली खेप का आगमन इस दौरे को विशेष महत्व देता है।
सात खेपों में पूरी होगी सप्लाई
रोसाटॉम ने बताया कि ईंधन नोवोसिबिर्स्क केमिकल कंसन्ट्रेट प्लांट में तैयार किया गया है। पूरे रिएक्टर कोर और रिज़र्व फ्यूल की आपूर्ति के लिए रूस से कुल 7 कार्गो फ्लाइट्स भेजी जाएंगी।
2024 का कॉन्ट्रैक्ट
यह शिपमेंट 2024 में साइन किए गए कॉन्ट्रैक्ट का हिस्सा है। इस समझौते में शुरुआती लोडिंग से लेकर पूरी सर्विस लाइफ तक के लिए ईंधन आपूर्ति शामिल है। यह आपूर्ति कुडनकुलम प्लांट के तीसरे और चौथे VVER-1000 रिएक्टरों के लिए होगी।
कुडनकुलम प्लांट की क्षमता
- संयंत्र में कुल 6 VVER-1000 रिएक्टर होंगे।
- इनकी संयुक्त इंस्टॉल्ड कैपेसिटी होगी 6,000 मेगावॉट।
- पहले दो रिएक्टर क्रमशः 2013 और 2016 में भारत के पावर ग्रिड से जुड़े थे।
- बाकी चार रिएक्टर अभी निर्माणाधीन हैं।
भारत–रूस इंजीनियरों का सहयोग
पहले चरण में दोनों देशों के इंजीनियरों ने मिलकर काम किया। उन्होंने एडवांस्ड न्यूक्लियर फ्यूल और एक्सटेंडेड फ्यूल साइकिल लागू किए, जिससे रिएक्टरों की एफिशिएंसी और उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
भारत–रूस परमाणु सहयोग को नई गति मिली है। तमिलनाडु स्थित कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र को रूस की सरकारी न्यूक्लियर कॉर्पोरेशन रोसाटॉम ने परमाणु ईंधन की पहली खेप भेज दी है। यह खेप कार्गो फ्लाइट के ज़रिए भारत पहुँची और इसका उपयोग संयंत्र के तीसरे रिएक्टर की प्रारंभिक लोडिंग में किया जाएगा।
यह आपूर्ति ऐसे समय हुई है जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दो दिवसीय दौरे पर हैं। दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच ऊर्जा, रक्षा और व्यापार जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होनी है। परमाणु ईंधन की पहली खेप का आगमन इस दौरे को विशेष महत्व देता है।
सात खेपों में पूरी होगी सप्लाई
रोसाटॉम ने बताया कि ईंधन नोवोसिबिर्स्क केमिकल कंसन्ट्रेट प्लांट में तैयार किया गया है। पूरे रिएक्टर कोर और रिज़र्व फ्यूल की आपूर्ति के लिए रूस से कुल 7 कार्गो फ्लाइट्स भेजी जाएंगी।
2024 का कॉन्ट्रैक्ट
यह शिपमेंट 2024 में साइन किए गए कॉन्ट्रैक्ट का हिस्सा है। इस समझौते में शुरुआती लोडिंग से लेकर पूरी सर्विस लाइफ तक के लिए ईंधन आपूर्ति शामिल है। यह आपूर्ति कुडनकुलम प्लांट के तीसरे और चौथे VVER-1000 रिएक्टरों के लिए होगी।
कुडनकुलम प्लांट की क्षमता
- संयंत्र में कुल 6 VVER-1000 रिएक्टर होंगे।
- इनकी संयुक्त इंस्टॉल्ड कैपेसिटी होगी 6,000 मेगावॉट।
- पहले दो रिएक्टर क्रमशः 2013 और 2016 में भारत के पावर ग्रिड से जुड़े थे।
- बाकी चार रिएक्टर अभी निर्माणाधीन हैं।
भारत–रूस इंजीनियरों का सहयोग
पहले चरण में दोनों देशों के इंजीनियरों ने मिलकर काम किया। उन्होंने एडवांस्ड न्यूक्लियर फ्यूल और एक्सटेंडेड फ्यूल साइकिल लागू किए, जिससे रिएक्टरों की एफिशिएंसी और उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।







