संसद में गूंजा गिग वर्कर्स का मुद्दा: राघव चड्ढा ने डिलीवरी ब्वॉय की दुर्दशा पर जताई चिंता

राज्यसभा में आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद राघव चड्ढा ने गिग वर्कर्स—जैसे कि जोमैटो, स्विगी के डिलीवरी ब्वॉय, ओला-उबर के ड्राइवर, ब्लिंकिट और जैप्टो के राइडर, अर्बन कंपनी के प्लंबर और ब्यूटीशियन—की समस्याओं को जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने कहा कि ये लोग भारतीय अर्थव्यवस्था के “अनदेखे पहिये” हैं, जिनकी मेहनत से ई-कॉमर्स और इंस्टा-डिलीवरी कंपनियां अरबों रुपये का मुनाफा कमा रही हैं।

⏱️ 10 मिनट की डिलीवरी का दबाव

  • चड्ढा ने बताया कि कंपनियों द्वारा तय किए गए 10 मिनट डिलीवरी नियम ने इन कामगारों पर असहनीय दबाव बना दिया है।
  • यदि वे समय पर ऑर्डर नहीं पहुंचा पाते, तो उनकी रेटिंग गिर जाती है, प्रोत्साहन राशि कट जाती है, और कभी-कभी उनकी आईडी ब्लॉक कर दी जाती है।
  • इस डर से वे अक्सर लाल बत्ती पार करने या ट्रैफिक नियम तोड़ने जैसे जोखिम उठाते हैं, जिससे उनकी जान पर खतरा मंडराता है।

⚖️ दिहाड़ी मजदूरों से भी बदतर हालात

  • सांसद ने कहा कि इन गिग वर्कर्स की स्थिति दिहाड़ी मजदूरों से भी खराब है।
  • कंपनियां अरबों का मुनाफा कमा रही हैं, लेकिन इन्हें न्यूनतम वेतन, सुरक्षा उपकरण, बोनस या अतिरिक्त भत्ता तक नहीं मिलता।
  • इनका कामकाजी समय रोजाना 12 से 14 घंटे का होता है, चाहे मौसम कैसा भी हो।
  • नतीजतन, इनकी जिंदगी “कमाई कम, बीमारी ज्यादा” वाली हो गई है।

📱 ग्राहक की नाराजगी और रेटिंग का डर

  • चड्ढा ने कहा कि यदि डिलीवरी में थोड़ी भी देरी हो जाए तो ग्राहक नाराज हो जाता है।
  • ग्राहक पहले फोन पर डांटता है, फिर शिकायत करने की धमकी देता है और अंत में एक स्टार रेटिंग देकर उनकी महीने भर की मेहनत पर पानी फेर देता है।
  • इस तरह गिग वर्कर्स की रोजी-रोटी हमेशा असुरक्षा में रहती है।

👨‍👩‍👦 परिवारों का सहारा

  • सांसद ने भावुक होकर कहा कि ये लोग भी किसी के बेटे, भाई, पति और पिता हैं।
  • इनके परिवार इनकी कमाई पर आश्रित होते हैं।
  • इसलिए सरकार को इनकी समस्याओं पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

🏛️ सरकार से खास अपील

  • चड्ढा ने मांग की कि सरकार को गिग वर्कर्स के लिए नीतिगत सुधार करने चाहिए।
  • उन्हें सुरक्षा, उचित वेतन, स्वास्थ्य सुविधाएं और सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
  • उन्होंने कहा कि यह “खामोश कार्यबल” भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और इन्हें नजरअंदाज करना देश के लिए नुकसानदेह होगा।